आज हर हिन्दु परिवारमे सत्यनारायण पूजा होती है | किन्तु बहुत कम लोग यह जानते है कि यह पूजा-कथा स्कन्द पुराण मे न होकर भविष्य पुराण मे है |वर्तमान कथा भाग मे भी कुछ् अन्तर है | परम् पूज्य काणे महाराज जी ने इस प्रामाणिक कथा को पुस्तक रुप मे प्रकाशित भी किया किन्तु इसका प्रचार हो नही पाया | कथा मे संशोधन कर स्कन्द पुराण से जोडने के पिछे क्या कारण होगा यह तो पता नही, पर कहा ये जाता है कि कलियुगमे केवल एक ही व्रत सत्यनारयन व्रत ऐसा है जो इसी जीवन मे फल देता है | फिर इतने महत्वपूर्ण व्रत कथा की प्रामाणिकता मे परिवर्तन क्यो ???
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