चित्र कविता - घडी - टिक टिक टिक टिक दिनभर करती समय बताती है | अविरल गति से काम करो नित हमे सिखती है | घर बाहर यह हरदम सबका साथ निभाती है| घडी नाम है इसका यह हम - सबको भाती है | वासुदेव महाडकर ...
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