Wednesday, 31 January 2018
Saturday, 13 January 2018
मकर संक्रांती की शुभकामनाओं के साथ -
प्रस्तुत है 1991में मेरा लिखा बालगीत
ःःःःःःःःः - मैं हूँ पतंग -ःःःःःःःःः
मैं हूँ पतंग, मैं हूँ पतंग ।
मुझसे प्यार करते बच्चें , खेलें मेरे संग ।
दूर गगन में जाती हूँ मै
बलखाती इठलाती,
वहाँ पहुँचकर घूम घूम कर
करतब कर दिखलाती।
निकट पहुँचूँ पर जब नभ के ,दिखती हूँ मै तंग
मुझसे प्यार करते बच्चें , खेलें मेरे संग ।
इतने रंग हमारे जितने
फूल खिले उपवन में ,
तनिक भेद न करते लेकिन
हम जब होते गगन में ।
साथ समीर के हम उडकर,करते हैं हुडदंग
मुझसे प्यार करते बच्चें , खेलें मेरे संग ।
झीनी सी काया है फिरभी
करती हूँ मन मानी
इसीलिए ही जग में पूरे
हूँ जानी पहचानी
आसमान पर चली अब तो , मैं धागे के संग
मुझसे प्यार करते बच्चें , खेलें मेरे संग ।
मैं हूँ पतंग, मैं हूँ पतंग ।
ःःःःःः वासुदेव महाडकर
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